क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करते हैं तो बैंक आपको लोन देगा या नहीं, यह फैसला कैसे होता है? क्या कोई ऐसा पैमाना है जिससे आपकी क्रेडिट योग्यता मापी जाती है? जी हाँ, इस फैसले की चाबी होती है – वो हे आपका CIBIL SCORE। आज के इस Article में हम आपको बताएंगे कि सिबिल स्कोर होता क्या है, इसे कैसे सुधारा जा सकता है, और ये आपकी आर्थिक जिंदगी में क्यों इतना जरूरी है।
📌सिबिल क्या है?
सबसे पहले बात करते हैं कि सिबिल स्कोर होता क्या है। सिबिल का फुल फॉर्म है Credit Information Bureau (India) Limited। ये एक Autonomous संस्था है जिसे RBI ने क्रेडिट स्कोर जारी करने का लाइसेंस दिया हुआ है। देश की लगभग सभी बैंक और क्रेडिट कार्ड कंपनियाँ सिबिल की सदस्य होती हैं और वे अपने ग्राहकों की लोन और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारी सिबिल के साथ शेयर करती हैं।
📌सिबिल को कैसे measure किया जाता है।
सिबिल Financial जानकारियों के आधार पर तीन अंकों का स्कोर बनाता है, जो 300 से 900 के बीच होता है। इस स्कोर के ज़रिए ये पता चलता है कि आपने अपने पुराने लोन और क्रेडिट कार्ड की पेमेंट कितनी समय पर की है, आपकी क्रेडिट हिस्ट्री कैसी रही है और आप फाइनेंशियली कितने रिस्पॉन्सिबल हैं।
अगर आपका स्कोर 900 के करीब है तो यह बहुत अच्छा स्कोर माना जाता है। कम से कम 700 या उससे ऊपर स्कोर होने पर बैंक आमतौर पर लोन देने के लिए सहज होती हैं। वहीं 700 से कम स्कोर को कमजोर या खराब क्रेडिट स्कोर माना जाता है, जिससे लोन मिलने में दिक्कत हो सकती है।
अगर किसी व्यक्ति का स्कोर 0 होता है, तो इसका मतलब है कि उसने हाल ही में ही क्रेडिट कार्ड या लोन लिया है और उसकी क्रेडिट हिस्ट्री अभी 6 महीने से कम की है। वहीं अगर स्कोर 1 होता है, तो इसका मतलब है कि व्यक्ति ने कभी कोई लोन या क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल ही नहीं किया।
अब सवाल ये है कि बैंक या फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन सिबिल स्कोर को इतना महत्व क्यों देते हैं? क्योंकि इसके ज़रिए उन्हें आपके पुराने फाइनेंशियल बिहेवियर की झलक मिलती है – आप समय पर लोन चुकाते हैं या नहीं, आपकी आदतें कैसी हैं। इससे बैंक को यह तय करने में मदद मिलती है कि आप उनके लिए रिस्क हैं या नहीं।
📌सिबिल स्कोर किन बातों पर आधारित होता है?
सिबिल स्कोर को तय करने के चार मुख्य फैक्टर होते हैं:
- लोन रिपेमेंट हिस्ट्री: आपने जो भी लोन लिए हैं, उनके हफ्ते समय पर चुकाए या नहीं? कोई EMI मिस हुई? या चेक बाउंस हुआ? ये सब बातें स्कोर पर असर डालती हैं।
- क्रेडिट का प्रकार और अवधि: आपने पर्सनल लोन लिया है, होम लोन लिया है या क्रेडिट कार्ड यूज़ किया है और कितनी लंबी अवधि के लिए? ये सब बातें स्कोर को प्रभावित करती हैं।
- क्रेडिट एक्सपोजर: आपने कुल मिलाकर कितनी राशि का लोन ले रखा है? और आपकी कमाई या संपत्ति उस लोन को सपोर्ट करने लायक है या नहीं?
- अन्य फैक्टर: जैसे अगर कोई चेक बाउंस हो गया, या टैक्स संबंधित कोई केस चल रहा हो, तो वो भी आपकी क्रेडिट स्कोर पर बुरा असर पड़ता है।
📌अगर आपका स्कोर खराब है तो उसे सुधारने के लिए क्या करें?
- समय पर EMI और बिल का भुगतान करें। लोन या क्रेडिट कार्ड की देरी से पेमेंट से स्कोर पर निगेटिव असर पड़ता है।
- क्रेडिट एक्सपोजर सीमित रखें। बार-बार लोन लेना या एक साथ कई लोन लेना ठीक नहीं। इससे आपका स्कोर खराब हो सकता है।
- बिना सोचे समझे लोन अप्लाई न करें। अगर आपने एक साथ कई बैंकों में लोन के लिए अप्लाई किया और वो रिजेक्ट हो गए, तो ये बात भी सिबिल स्कोर को गिरा सकती है। इसीलिए एक बैंक से ट्राय करें, फिर जरूरत हो तो दूसरे बैंक जाएं।
📌अच्छा सिबिल स्कोर मिलने के क्या फायदे हैं?
- कम ब्याज दर पर लोन मिल सकता है। आप बैंक से इंटरेस्ट रेट पर बातचीत भी कर सकते हैं।
- लंबी अवधि के लिए लोन मिल सकता है, जैसे 10-15 साल तक का।
- लोन अप्रूवल तेज़ी से हो सकता है। यानी कम डॉक्यूमेंटेशन में फास्ट ट्रैक प्रोसेस।
- क्रेडिट कार्ड पर बेहतर ऑफर और लिमिट मिल सकती है।
- ज्यादा लोन मिलने के चान्सेस बढ़ जाती है। खासकर होम लोन में 80-90% तक का फाइनेंस बैंक कर लेती है।
🔚 निष्कर्ष
तो देखा आपने, एक अच्छा सिबिल स्कोर आपकी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाता है और आपको फाइनेंशियल फैसलों में बेहतर अवसर दिलाता है।